पुराना किला दिल्ली की प्राचीनता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। इस किले का हर हिस्सा दिल्ली की ऐतिहासिक यात्रा की कहानी कहता है और यहाँ का वातावरण हर आगंतुक को इतिहास में ले जाने का अनुभव कराता है। दिल्ली का पुराना किला एक ऐसा स्थल है, जिसे देखकर आप भारतीय इतिहास और वास्तुकला की गहराई को महसूस कर सकते हैं।
पुराना किला, जिसे दिल्ली का पुरातन किला भी कहा जाता है, शहर के सबसे प्राचीन और प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। यह किला दिल्ली के दिल में स्थित है और भारतीय इतिहास की गहरी परतों को समेटे हुए है। पुराना किला न केवल मुगल वास्तुकला की खूबसूरती को दर्शाता है, बल्कि इसके माध्यम से महाभारत काल से लेकर मुगल साम्राज्य तक की एक समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर भी प्रकट होती है।
ऐसा माना जाता है कि पुराना किला का संबंध महाभारत काल के इंद्रप्रस्थ नगर से है, जो पांडवों का राज्य था। वर्तमान में जो किला देखा जा सकता है, उसका निर्माण मुगल बादशाह हुमायूँ ने प्रारंभ करवाया था, और बाद में शेर शाह सूरी ने इसे पूरा किया। यह किला उस समय का प्रतीक है, जब दिल्ली पर सत्ता के संघर्ष चल रहे थे और मुगलों और अफगान शासक शेर शाह के बीच में सत्ता बदल रही थी।
पुराना किला एक विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें मुगल और अफगान वास्तुकला का मिश्रण देखने को मिलता है। इसका निर्माण लाल बलुआ पत्थरों से किया गया है, जिसमें सुंदर मेहराब, गुंबद, और जटिल नक्काशी देखने को मिलती है।
प्रमुख द्वार: पुराना किला के तीन मुख्य द्वार हैं - बड़ा दरवाजा, हुमायूँ दरवाजा, और तालाक़ी दरवाजा। इन दरवाजों की वास्तुकला मुगल शैली में निर्मित है और ये जटिल नक्काशियों से सजे हैं।
किला-ए-कुहना मस्जिद: शेर शाह सूरी द्वारा निर्मित, यह मस्जिद अपने सुंदर लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर के संयोजन से बनी है। इस मस्जिद की प्रार्थना स्थल और जालीदार खिड़कियाँ इसे और भी आकर्षक बनाती हैं।
शेर मंडल: शेर शाह सूरी द्वारा निर्मित इस अष्टकोणीय इमारत का उपयोग हुमायूँ ने अपने पुस्तकालय के रूप में किया। इसी स्थान पर हुमायूँ की मृत्यु भी हुई थी।
बावड़ी (स्टेपवेल): किले के अंदर एक खूबसूरत बावड़ी भी है, जो उस समय की जल संरक्षण तकनीकों का प्रतीक है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा किए गए खुदाई में यहाँ से मौर्य, कुषाण, और गुप्त काल की कई वस्तुएँ प्राप्त हुई हैं। ये पुरातात्विक खोजें बताती हैं कि यह स्थल हजारों सालों से बसा हुआ है और संभवतः इंद्रप्रस्थ की प्राचीन नगरी यहीं स्थित थी।
किले के इतिहास को जीवंत बनाने के लिए यहाँ रोज शाम को साउंड और लाइट शो का आयोजन किया जाता है, जो प्राचीन दिल्ली की कहानी को बताता है। यह शो दर्शकों के लिए बहुत ही आकर्षक होता है, और यहाँ का वातावरण इस ऐतिहासिक स्थल की भव्यता को और बढ़ा देता है।
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