भाई दूज का त्योहार भारत की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भाई-बहन के रिश्ते की पवित्रता और उनके प्रति समर्पण को दर्शाता है। इस दिन को मनाते हुए सभी भाई-बहन अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं और अपने रिश्ते को और भी मजबूत बनाते हैं।
भाई दूज, जिसे भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है, दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाने वाला एक खास त्योहार है। यह पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम और उनकी सुरक्षा की कामना का प्रतीक है। रक्षाबंधन की तरह ही, भाई दूज भी भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने और एक-दूसरे के प्रति सम्मान और देखभाल के भाव को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है।
भाई दूज का धार्मिक महत्व:
भाई दूज से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, यमराज अपनी बहन यमुनाजी से मिलने उनके घर गए थे। अपनी बहन के स्नेह और सत्कार से प्रभावित होकर यमराज ने यमुनाजी से वरदान माँगने के लिए कहा। यमुनाजी ने अपनी कामना व्यक्त की कि हर भाई अपनी बहन के घर इस दिन जाए और उससे आशीर्वाद प्राप्त करे। इस दिन को शुभ माना जाता है, और कहा जाता है कि भाई दूज पर जो बहन अपने भाई की पूजा करती है, उसका भाई लंबी आयु और खुशहाली प्राप्त करता है।
भाई दूज की पूजा और परंपराएं:
- तिलक समारोह: बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती हैं।
- आरती और पूजा: भाइयों की आरती उतारी जाती है, और पूजा के दौरान बहनें भगवान से अपने भाइयों की सुरक्षा और सफलता के लिए प्रार्थना करती हैं।
- भाई-बहन का भोज: इस दिन बहनें अपने भाइयों को विशेष व्यंजन बनाकर खिलाती हैं। भाई भी अपनी बहनों को उपहार और स्नेह देकर उनका आभार प्रकट करते हैं।
भाई दूज 2024:
2024 में भाई दूज का पर्व सभी भाइयों और बहनों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन का उद्देश्य न केवल भाई-बहन के रिश्ते को संजोना है, बल्कि परिवार में एकता और प्रेम को बढ़ावा देना भी है। बहनें अपने भाइयों के लिए उनकी सुरक्षा और सफलता की प्रार्थना करती हैं, जबकि भाई उन्हें प्यार और सुरक्षा का वचन देते हैं।