When - 2nd November
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गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है, दिवाली के अगले दिन मनाया जाने वाला एक पवित्र पर्व है। इस दिन भक्त श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाने और गोकुलवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाने की कहानी का स्मरण करते हैं। गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति का एक प्रतीक है, जिसमें श्रद्धालु गोवर्धन पर्वत की पूजा कर अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं और अन्नकूट पर्व मनाते हैं।
गोवर्धन पूजा का उल्लेख पौराणिक कथा में मिलता है, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर गोकुलवासियों को इंद्रदेव के क्रोध से बचाया था। इंद्रदेव की वर्षा से गाँववासियों को बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया और सात दिन तक बिना रुके पर्वत को थामे रखा। इस घटना ने गोवर्धन पर्वत की पूजा और अन्नकूट उत्सव को जनमानस में स्थान दिया। यह कथा भगवान कृष्ण की भक्तों के प्रति करुणा और उनकी सुरक्षा का प्रतीक है।
गोवर्धन पूजा के दिन अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण को विभिन्न प्रकार के व्यंजन अर्पित किए जाते हैं। विभिन्न प्रकार के अन्न, मिठाई, सब्जियाँ और फल मिलाकर अन्नकूट तैयार किया जाता है। इसे पहाड़ के आकार में सजाकर मंदिरों में अर्पित किया जाता है। इस दिन मंदिरों में गोवर्धन की प्रतिमा बनाई जाती है और श्रद्धालु भगवान कृष्ण के प्रति अपनी आस्था और भक्ति प्रकट करते हैं। अन्नकूट प्रसाद के रूप में भक्तों के बीच वितरित किया जाता है, जो भक्तों के बीच समृद्धि और एकता का प्रतीक है।
2024 में गोवर्धन पूजा का आयोजन सभी भक्तों के लिए एक विशेष अवसर होगा, जब वे भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित कर सकेंगे। इस दिन को सामुदायिक सहभागिता के साथ मनाया जाता है, जहाँ भक्त अन्नकूट प्रसाद का आनंद लेते हैं और गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं। यह पर्व न केवल भगवान श्रीकृष्ण की लीला का स्मरण कराता है, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों के प्रति आभार व्यक्त करने का भी अवसर है।
गोवर्धन पूजा हमें सिखाती है कि कैसे भगवान श्रीकृष्ण ने एक सच्चे रक्षक के रूप में अपने भक्तों की रक्षा की। यह पर्व न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि अपने आहार और संसाधनों के प्रति सम्मान व्यक्त करने का अवसर भी है। अन्नकूट उत्सव में सभी भक्त एक साथ आते हैं, भगवान के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करते हैं, और समाज में एकता और समृद्धि का संदेश देते हैं।
When - 14th April
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