मकर संक्रांति भारत का एक प्रमुख त्योहार है, जो हर साल जनवरी महीने में मनाया जाता है। इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, जिसे हिंदू पंचांग के अनुसार अत्यंत शुभ माना जाता है। यह पर्व किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह नई फसल के आगमन और समृद्धि का प्रतीक है।
मकर संक्रांति की तिथि और महत्व
2025 में मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। यह दिन धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से विशेष है। इसे कई राज्यों में अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है:
- तमिलनाडु: पोंगल
- गुजरात: उत्तरायण
- पंजाब: लोहड़ी
- असम: माघ बिहू
मुख्य परंपराएं और गतिविधियां
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पवित्र स्नान और पूजा:
इस दिन लोग गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
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तिल-गुड़ का सेवन:
तिल और गुड़ से बने लड्डू इस त्योहार का मुख्य भोजन है। यह मिठाई रिश्तों में मिठास और सद्भावना का प्रतीक है।
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पतंगबाजी:
गुजरात और राजस्थान में यह त्योहार पतंगबाजी के बिना अधूरा है। रंग-बिरंगी पतंगें आसमान को सजाती हैं और प्रतियोगिताओं में लोग उत्साह से भाग लेते हैं।
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दान और पुण्य:
मकर संक्रांति के दिन गरीबों और जरुरतमंदों को भोजन, कपड़े और धन का दान करना विशेष पुण्यकारी माना जाता है।
विभिन्न राज्यों में संक्रांति का जश्न
मकर संक्रांति भारत के हर कोने में अलग-अलग ढंग से मनाई जाती है:
- उत्तर भारत: खिचड़ी भोज के साथ सामूहिक उत्सव।
- महाराष्ट्र: तिल-गुड़ खाओ और मीठा बोलो।
- बंगाल: गंगा सागर मेले में पवित्र स्नान।