शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागर पूर्णिमा भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखती है। इस दिन की मान्यता है कि चंद्रमा अपनी पूर्ण शीतलता के साथ आशीर्वाद प्रदान करता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, देवी लक्ष्मी इस रात को पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जागरण करने वालों को धन-संपत्ति का वरदान देती हैं।
इस दिन विशेष रूप से खीर बनाकर उसे चांदनी में रखा जाता है, ताकि चंद्रमा की दिव्य किरणों से खीर पवित्र और स्वास्थ्यवर्धक हो जाए। वैज्ञानिक दृष्टि से, इस रात को वातावरण में विशेष शांति और ऊर्जा होती है, जो मनुष्य के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालती है।
गुजरात में इस दिन कोजागिरी लक्ष्मी पूजा होती है, जबकि पश्चिम बंगाल में इसे देवी लक्ष्मी के स्वागत के रूप में मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इस दिन को शरद पूर्णिमा के रूप में मनाकर एकजुटता और सद्भाव का प्रतीक माना जाता है।
यह त्यौहार कृषि प्रधान समाज में मानसून की समाप्ति और शरद ऋतु की शुरुआत के रूप में भी महत्वपूर्ण होता है। इस रात को चाँद का दर्शन करना और उसकी रोशनी में खीर ग्रहण करना बहुत शुभ माना जाता है।